
परीक्षा देने का समय
जब बहुत लंबा हुआ,
देखकर प्रश्न का पत्र
मन को अचंभा हुआ।
उड़ गया मेरे चेहरे का रंग
भगवान ने भी छोड़ा मेरा संग,
जो भी आया था रट के
थोड़े में ही भूले भटके।
देखा मैंने दाएं बाएं
लेकिन कुछ नजर ना आए,
मुझको कुछ समझ
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