
हर भद्र माह के बाद डूब जाता हुं
जन पशु मवेशी चारा हो जाते सब बेहाल
कटाई होता है तो उजड़ जाते हैं मेरे प्यारे गांव
जिनको मैं एक जगह से देखता हु पूरा साल
वो हो जातें हैं हर साल बदहाल
हां मैं बिहार
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हर भद्र माह के बाद डूब जाता हुं
जन पशु मवेशी चारा हो जाते सब बेहाल
कटाई होता है तो उजड़ जाते हैं मेरे प्यारे गांव
जिनको मैं एक जगह से देखता हु पूरा साल
वो हो जातें हैं हर साल बदहाल
हां मैं बिहार