कविता नहीं हूं मैं's image
102K

कविता नहीं हूं मैं

तीर सा चुभता शब्द हूँ मैं।

शब्दों में पिरोई, मोतियों का गुच्छा हूँ मैं,

शब्द नही शब्द का सार हूँ मैं ।। 


कटते पेड़ों की उन्मादी हवा हूँ मैं,

प्रकृति का बिगड़ता संतुलन हूँ मैं।

बाइबल हूँ, कुरान हूँ मैं,

अपने आप मे एक महाभारत हूँ मैं ।। 


हर नए शुरुवात की हडबडाहट हूँ मैं

शर्दियों में ठिठुरते बेघरों की ठिठुरन हूँ मैं ।

गर्मियों में तपते मजदूर का,

बहता पसीना और गर्माहट हूँ मैं।। 


लोभ, छोभ,मोह, माया और उत्साह हूँ मैं

दुख, दर्द, घाव ,

Tag: poetry और4 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!