यूँ तो अरसा हुआ उनसे मिले...
यूँ तो अरसा हुआ उनसे मिले
पर उनसे इश्क का किस्सा आज भी सम्भाले रखा है हमने!
जाने वो क्या बात थी उनमें
के हम खुद को रोक ही ना पाए थे
ये जानते हुए के
उनसे इश्क करना भूल ही होगी!
जाने वो कौन सा दिन था या फिर कौन सी रात थी,
के हमने इज़हारे-ए-इश्क फिर भी किया था उनसे !!
नज़र भर जब भी देखा था उन्हें
सच कहूं कोई खास बात थी नहीं उनमें
पर हाँ , शायद ये मेरा इश्क ही था
जो निखार रहा था उन्हें
वो चाहे माने, चाहे ना माने !
जाने वो कौन से जज़्बातों का तूफ़ान था मेरे अंदर
के जब भी उनसे रू-ब-रू होते,
मेरे तेज दिल की धड़कनों का इस्तमाल हो जाता!
मेरे इश्क में उनकी वो मस्तियाँ सारी
जाने क्यूँ मेरी आँखों को नम कर जाती
और ये खामोश लब मेरे,
बड़ी ही लापरवाही से
फिर कोई नया किस्सा-ए-मोहब्बत गढ़ते!!
यूँ तो अरसा हुआ उनसे मिले
पर उनसे इश्क का ये किस्सा आज भी
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