
" रात "
ज्ञान रश्मियाँ पिंजर बद्ध हैं,
कैसी छाई रात घनेरी है?
मन मंदिर में तिमिर छा गया,
यह कैसी विपदा घेरी है?
मानव स्वयं का बना है शत्रु,
वह काँटों की झरबेरी है।
इस पर भी इतना दुस्साहस,
समझे वह इसे दिलेरी है।
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" रात "
ज्ञान रश्मियाँ पिंजर बद्ध हैं,
कैसी छाई रात घनेरी है?
मन मंदिर में तिमिर छा गया,
यह कैसी विपदा घेरी है?
मानव स्वयं का बना है शत्रु,
वह काँटों की झरबेरी है।
इस पर भी इतना दुस्साहस,
समझे वह इसे दिलेरी है।