एक सलामी उन वीरों को
सरहद के रणधीरों को।
जो लड़ते हमारी भलाई में
जो कुर्बां हुए हमारे लिए
कभी पुलवामा,
तो कभी कारगिल की लड़ाई में।
हंसकर कटा दिए गए उन शीशों को।
एक सलाम उन वीरों को
सरहद के रणधीरों को।।
जब भी दुश्मन ने आंख दिखाया
असहाय जान भारत को ललकारा।
मां के सपूतों (फ़ौज) ने,
हरदम अपना फर्ज निभाया
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