समाजवाद मुखर हो, ऐसी गर्जना करो ~©संजय कवि 'श्रीश्री''s image
141K

समाजवाद मुखर हो, ऐसी गर्जना करो ~©संजय कवि 'श्रीश्री'

सत्ता बनी धृतराष्ट्र है

अनीति आज नीति है

प्रतिशोध द्वेष क्रोध की

जाने ये कैसी रीति है।

माँ बहन की आबरू

रक्षक बने वो लुटते

घिघिया रहा गरीब है

दानव बने वो कूटते।

पाप शिखर है चढ़ा 

माँ भारती है कांपती

अधर में नौनिहाल हैं

भविष्य को है भांपती।

हे

Read More! Earn More! Learn More!