
साहित्यकार से हम यह समझते हैं की हमारे समाज में घट रहे किसी तरह के घटनाओं व सामाजिक घटना से जो हमे अपने लेखन के माध्यम से उन तमाम घटित घटनाओं को हम तक पहुंचाने का ही कार्य नही करते हैं । अपितु हमे हमारे जीवन से रूबरू कराते हैं , उन्हें ही हम सही मायनो में सच्चा व निष्ठावान साहित्यकार कहते हैं । साहित्य के अनेक रूप व साहित्य रचना को सजाने वाला अर्थात् साहित्यकार कहलाता हैं। साहित्यकार को इसी अद्भुत कलाओं व रचनाओं के आधार पर ही हमारे समाज का अंग माना जाता हैं। इन्ही बातो को हम ध्यान में रखते हुए यदि हम सामान्य व्यक्ति की बात करे तो सामान्य व्यक्ति समाज में घट रहे किसी तरह की घटनाओं , प्रश्नों व किसी विषयों पर टिप्पणी करने में सक्षम नहीं होता हैं। वही यदि साहित्यकार की बात करे तो वह इन घटनाओं को अपने लेखन के माध्यम से समाज के लोगो के मध्य तक पहुंचाता हैं। जिससे लोग उन बातो से परिचित होते हैं व एक नई दिशा की ओर अपने जीवन को ले जानें का प्रयत्न करते हैं। ऐसा करना ही साहित्यकार के भाव का निष्पादन करना कहते हैं , हर युग के साहित्यकार ने अपने इस कर्त्तव्य का उचित निष्पादन अवश्य किया हैं। इससे हम सभी भलीभांति अवगत हैं , साहित्य को जीवन , समाज , जनों का दर्पण बताने अर्थात् दिखाने वाला साहित्यकार ही हुआ करता हैं। एक उत्कृष्ट साहित्यकार वही हैं जो समाज , जनों के हित में टिप्पणी अथवा को लेख लिखे यदि विपरित कर तो अनुचित । आज के इस फेरा ( दौर ) में साहित्य और साहित्यकारों का ख्याति गिरता दिख रहा हैं, कारण यह की न ही कोई पढ़ने , सुनने और समझने की आवश्यकता समझता हैं। इस टेक्नोलॉजी से भरे आधुनिक युग में बच्चे तो बच्चे , बड़े भी इंटरनेट व सोशल मीडिया पर नग्नता भरे चित्रों को देख व अनुचित लेखों का अध्ययन करने लगे हैं व इसके आदि होते जा रहे हैं। हम सभी भलीभांति यह जानते व समझते भी की " साहित्य समाज का दर्पण हैं " अर्थात् साहित्य ही समाज का आइना हैं। फिर भी हम सभी साहित्य और साहित्यकारों की लिखी बातों पर तनिक भी नजर नहीं फेरते और न ही उसको एक जिम्मेदारी से पढ़ने का प्रयत्न करते हैं। कुछ हद तक साहित्यकार भी इन कारणों के ज़िम्मेदार हैं क्योंकि हम उनको अपनी रचना से अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पा रहे है। इन बातों को मद्दे नजर रखते हुए समाज में साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न के हेतु जन जागरूकता , साहित्यकार मेला जागरूकता की आवश्यकता हैं । युवाओं में साहित्य का परचम लहराने के लिए इन्हें प्रेरित करना होगा और साहित्य के महत्ता को भी बताने की आवश्यक्ता हैं। आज के समय में कई नव युवक साहित्यकार ऐसे हैं कि अपने