
एक ऐसा महाविद्यालय जहां शिक्षा की परंपरा तो चलन में नही परन्तु वहां के छात्र अवश्य लाठी से मार खाते हैं। अगर एक सफल महाविद्यालय की बात करे तो स्वयं ऐसे माहौल में खिलता है जो प्रतिस्पर्धात्मकता, रचनात्मक सोच, नवाचार आदि को बढ़ावा देता है।। मामला शर्मिला जैसवाल डिग्री कॉलेज का हैं उपरदहा डिग्री कॉलेज के छात्र- छात्राएं प्रथम वर्ष का परीक्षा देने गए थे कुछ छात्रों द्वारा जानकारी प्राप्त हो पाया की सेंटर पर पहुंचने के पश्चात् कई छात्रों के साथ अध्यापकों का रवैया शालीनमय नही रहा। कक्षा में जाने के पश्चात कई छात्र- छात्राओं को अपने कक्ष संख्या ढूंढने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा परन्तु अध्यापकों द्वारा बच्चो की कोई सहयोग नहीं । जब छात्र अध्यापक से पूछते तो वे लोग बताने में आना - कानी करते या आगबबूला होकर बच्चो को स्वयं ढूंढने को कहते यहां तक तो उन अध्यापकों का रवैया ठीक पर जब एक छात्र को अध्यापक ने लाठी से पीट दिया तो मामला बिगड़ गया। जब इस मामले की पता लगाने की कोशिश की गई तो पता चला की छात्र ने अपने सर पर टोपी को पहने हुआ था जब अध्यापक द्वारा कहा गया की जिसने टोपी पहना हो वे सभी उतार दे। तो उस छात्र ने टोपी को अपने सिर से नही उतारा तो मास्टर साहब आग बबूला हो गए और छात्र को भैंस के भांति लाठी से पीट दिए और जब छात्र ने मास्टर साहब की ओर देखने को जुर्रत की तो मास्टर साहब ने भद्दी गालियां की बौछार लगा दिए। और कहने लगे की तुम्हारी इतनी हिम्मत की आंखे दिखा रहा हैं मामला बहुत गंभीर हो गया पर कोई अन्य अध्यापक ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया न