![भारत : देश मेरे सपनों का !'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40shivshankarpatwa2908/None/1643639356479_31-01-2022_19-59-20-PM.png)
पूरब के सुंदरबन या की
पश्चिम का गेट समंदर वाला
उत्तर का हिम-आँचल देखो
दृश्य मोहित करने वाला
दक्षिण तटों का भंडार
मध्य में हरियाली-बहार
असंख्य नदियों की बहे धार
मिट्टी से उगे कई कारोबार
कल कल कल कल बहती नदियां
झर झर झर झर गिरते झरने
टिप टिप टप टप बरसता सावन
ठिठुरती मीठी जाड़ों की किरणें
दक्षिण में लगी साँपों की घात
पश्चिम गिनता शेरों के दाँत
मध्य बाघ और बारहसिंगा
बंगाल टाइगर, वाह क्या बात
उत्तर में शातिर लोमड़ी
भालू संग गीदड़ की प्रभात
कितने हाथी हिरण जिराफ़
कितने ही यहां पशू मिलते हैं
मोर पपीहे तोता कोयल
तितली संग फूल कई खिलते हैं
अलग-अलग सी भाषा है
अलग यहां सबका व्यवहार
अलग कई संस्कृतियाँ हैं पर
विविधता में भी है प्यार
संस्कारों कि भूमी है ये
योग-आयुर्वेद उपज यहां की
शस्त्र-शास्त्र की पूंजी है
प्रेम-मिलन की गूंजें भी
नृत्य-गायन, लेखन आदि,
सभी कलाओं को साधा है
मृदंग वीणा तबले ड़ोल
शंख बांसुरी संग गिटार भी
पौराणिक शुद्धता है
जीवन का आधार ह
पश्चिम का गेट समंदर वाला
उत्तर का हिम-आँचल देखो
दृश्य मोहित करने वाला
दक्षिण तटों का भंडार
मध्य में हरियाली-बहार
असंख्य नदियों की बहे धार
मिट्टी से उगे कई कारोबार
कल कल कल कल बहती नदियां
झर झर झर झर गिरते झरने
टिप टिप टप टप बरसता सावन
ठिठुरती मीठी जाड़ों की किरणें
दक्षिण में लगी साँपों की घात
पश्चिम गिनता शेरों के दाँत
मध्य बाघ और बारहसिंगा
बंगाल टाइगर, वाह क्या बात
उत्तर में शातिर लोमड़ी
भालू संग गीदड़ की प्रभात
कितने हाथी हिरण जिराफ़
कितने ही यहां पशू मिलते हैं
मोर पपीहे तोता कोयल
तितली संग फूल कई खिलते हैं
अलग-अलग सी भाषा है
अलग यहां सबका व्यवहार
अलग कई संस्कृतियाँ हैं पर
विविधता में भी है प्यार
संस्कारों कि भूमी है ये
योग-आयुर्वेद उपज यहां की
शस्त्र-शास्त्र की पूंजी है
प्रेम-मिलन की गूंजें भी
नृत्य-गायन, लेखन आदि,
सभी कलाओं को साधा है
मृदंग वीणा तबले ड़ोल
शंख बांसुरी संग गिटार भी
पौराणिक शुद्धता है
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