अफ़साने's image
हर किसी के कुछ अफ़साने हैं ,
यहां हर कोई हम'से दीवाने हैं,

शमा तो बुझ गयी कब कि,
मगर फिरते लाखों परवाने हैं,

अभी तो गुजर रहा था बसंत,
अब तो बस पतझड़ छाने हैं,

कुबूल हैं सब तोहफ़े शौक से,
अभी तो बहुत शिक़वे पाने
Read More! Earn More! Learn More!