
मैंने देखा उसे आज फ़िर,
कुछ गुम सा खोया हुआ,
बेचैन सा शायद,
मैंने उसे आज फ़िर देखा है लड़ते हुए, जूझते हुए ख़ुद से,
वो आज बिल्कुल भी वो नहीं था जो कभी हुआ करता था,
उमंगों से लबरेज़, हंसो सा चंचल।
आज वो
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मैंने देखा उसे आज फ़िर,
कुछ गुम सा खोया हुआ,
बेचैन सा शायद,
मैंने उसे आज फ़िर देखा है लड़ते हुए, जूझते हुए ख़ुद से,
वो आज बिल्कुल भी वो नहीं था जो कभी हुआ करता था,
उमंगों से लबरेज़, हंसो सा चंचल।
आज वो