स्वेटर's image

थक हार कर लेटती नहीं बैठती थी माँ

काम नहीं लगता था उसको स्वेटर बुनना

"हर रंग फबता है तुझपे" कहकर

एक रंग का ऊन बड़े चाव से चुनना

रोज़ नाश्ते में "एक पराठा और खा ले" कहती थी

फिर नाप हर दिन की बुनाई के बाद लेती थी

सेहतमंद पसंद हूं मैं उसको

बाकी उसकी आंखो में तो नूर ह

Read More! Earn More! Learn More!