थक हार कर लेटती नहीं बैठती थी माँ
काम नहीं लगता था उसको स्वेटर बुनना
"हर रंग फबता है तुझपे" कहकर
एक रंग का ऊन बड़े चाव से चुनना
रोज़ नाश्ते में "एक पराठा और खा ले" कहती थी
फिर नाप हर दिन की बुनाई के बाद लेती थी
सेहतमंद पसंद हूं मैं उसको
बाकी उसकी आंखो में तो नूर ह
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