![भावनाएं!'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40shivam-ved-mishra/None/1664384755645_28-09-2022_22-35-57-PM.png)
भावनाओं से,उलझना है कब तक।
भावनाओं से,लड़ना है कब तक।।
मेघ-मल्हारो वाली बरखा जब,सजती है।
तब ओ है हमे खुद से ही,कहती है।।
ओ खुद को खुद से ही,समझाती है।
खुद से ही यू बार-बार,इठलाती है।।
हम भी भावनाओं को,जब समझ न पाते। तब ओ हमसे कुछ कहे,हम नकार न पाते।।
लेकिन भावनाओं में भी,ह
भावनाओं से,लड़ना है कब तक।।
मेघ-मल्हारो वाली बरखा जब,सजती है।
तब ओ है हमे खुद से ही,कहती है।।
ओ खुद को खुद से ही,समझाती है।
खुद से ही यू बार-बार,इठलाती है।।
हम भी भावनाओं को,जब समझ न पाते। तब ओ हमसे कुछ कहे,हम नकार न पाते।।
लेकिन भावनाओं में भी,ह
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