आज सुबह सुबह ही खुल गया
अलमारी का बन्द कोना
जिसमें रखी थी
एक अधूरी मोहब्बत की दास्तान
कुछ अधूरे ख़्याव,कुछ बेकाबू जज़बात
सावन की पहली बारिश का
वो एक भीगा लम्बा
वो कभी न खत्म होने वाला रास्ता
साथ टहले थे,जिसमें हम
आज भी पड़ा है,वो सुनहरा ब्रासलेट
जो अपनी मोहब्बत की निशानी में
तुमने मेरे हाथ में पहनाया था
और ,,वो फोटो
तुमसे नज़र बचाकर
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