संबंधों का बिस्तर रोज नही बदलता
हाथ छूटा तो फिर साथ नही मिलता
रात के चंद्रमा को जाना ही है होता
दिन की धूप से रिश्ता नही है जुड़ता
कोशिश बहुत करती है आंखे रोकने की
अश्कों का मगर इरादा नहीं है बदलता
घाव कितना भी गहरा क्यों ना हो
आंसुओं का कभी रंग नही है बदलता
सफ
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