![सच नाचता है झूठ की महफिलों में ...'s image](/images/post_og.png)
तांडव मौत का देखो है हर तरफ
जिंदगी रोज जीती है डर डर कर !!
अंधेरों की सूरज से हो गई है सुलह
चांद और चांदनी में हो गई है कलह
सच नाचता है झूठ की महफिलों में
हुनर गिड़गिड़ा रहा धनी कदमों में
बह रही है लूट की हवा हर तरफ
इन्सानियत मर रही है रह रह कर !!
तांडव मौत का देखो है हर तरफ
जिंदगी रोज ज
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