हे स्त्री, तेरे बारे मे अब मै क्या कहूँ, जितना भी कहूँगा कम ही कहूँगा,
हर कोई अपनी समझ के दायरे से तेरा गुणगान करता है,
मैं भी अपने हिसाब से तेरे गुणगान का विस्तार करूंगा,
तेरी महिमा को शब्दों की माला मे पिरोकर तुझको अर्पित करूँगा,
महानता है तेरी जो त
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