
प्रतिशोध:खून मुझे पीना है A Classic Revenge Anthem Disclaimer: Don't get inspired.
प्रतिशोध
सूत्रधार :
रुदन कर रहा भारत शोषित पुकारता है
रो रो कर अपना दुखड़ा वो यूँ सुनाता है
कि कैसे उसके अपनों का संहार होता है?
कैसे उसके परिवार का विनाश होता है ?
कौन उसके स्वप्न को धूल में मिलाता है ?
कैसे दुर्बल का सब लूट लिया जाता है ?
कैसे बलवानों ने निर्बल को लूटा है ?
नर - पिशाचों ने खून भी न छोड़ा है
प्राण रह गये हैं शेष और दशा है करुण
कारण इस अवस्था का ध्यान से सुन:
मित्र/ सलाहकार / शुभ - चिंतक:
"सहन किया तुमने बहुत और मौन भी रहे हो तुम,
शयन किया तुमने बहुत अतः गौण भी रहे हो तुम,
शत्रु-बल के सामने सहम कर जिये हो तुम,
शत्रु-प्रभाव के सामने निष्प्रभावी हो गये तुम
बदला समय है प्रबल परिवर्तन होना है
जो भीरु बनकर जिये हैं, उन्हें सिंह बनके जीना है
हो चुका अनुरोध-अनुनय शस्त्र अब उठाना है
सोते हनुमान का पराक्रम जगाना है
दास बनकर जी चुके अब शाह बनकर जीना है
दुश्मन की छाती का रक्त तुझे पीना है
हो चुका है शांति वर्णन, युद्ध वर्णन शेष है
हो चुका है हास्य वर्णन, वीभत्स वर्णन शेष है
हो चुका है बुद्ध वर्णन, कृष्ण वर्णन करना है
पुकार अपने शत्रु से मुझे प्रतिशोध लेना है "
शोषित:
"जितना लूटा था तूने मुझे, उतना लूट कर दिखाऊंगा
जितना खून बहाया मेरे अपनों का उतना खून तेरे शरीर का बहाऊंगा
जितनी वेदना पहुंचाई मेरे ह्रदय को , उतनी ही वेदना का अनुभव कराऊंगा
मारा था तूने मुझे लाठियों और शब्दों से, तेरे शरीर को कुत्तों से नुचवाऊंगा
भाग सके तो भाग जितना भाग सकता है , तेरा पीछा करता पाताल तक भी आऊंगा
बदले की आग से पागल हो गया हूँ मैं, खून तेरा पीकर प्यास अपनी मैं बुझाऊंगा
सारी शक्ति से आज सिंह गर्जना ये करता हूँ
जूती बनकर नहीं ताज बनके जीता हूँ
याद कर पुराने घाव इतना ही कहना है
हार कर रह चुका, अब प्रहार करके रहना है
हो चुका है शांति वर्णन, युद्ध वर्णन शेष है
हो चुका है हास्य वर्णन,