
सफर मुहब्बत का शुरू हो न सका,
साथी तो मिला, वफा दे न सका .
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चलो हम भी मुहब्बत के सफर में चलते हैं,
साथी हो वफादार, यही दुआ करते हैं .
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वफा लेकर भी वफा दे न सका,
वो कितना सितमगर था, जो मेरा हो न सका.
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आज भी आंखों में उनकी तस्वीर लिए बैठे हैं,
आयेंगे कभी वो, ये उम्मीद लिए बैठे हैं.
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यारो दुआ करो मुहब्बत में मुकाम मिले,
ज़िन्दगी जाया न जाये, मुझे भी इनाम मिले.
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जश्न ओ जन्नत की मुझे कोई तलब नहीं,
ख्वाहिश एक ही है कि तुम मेरे मुहाफिज बनो.
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बिना मिले ही मुलाकात हो जाती है,
आँखों आँखों में ही सही , पर बात हो जाती है ,
गर मिला न इशारा दिन भर ,
सारी रात राख हो जाती है |
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मुहब्बत के सफर में मंज़िल नहीं मिलती
ख़त्म होती ज़िन्दगी, मुकम्मल नहीं होती
यादें वो मीठी अश्कों से धूल नहीं पातीं
दिल का दर्द जुबां कभी कह नहीं पाती
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ताउम्र मुझे प्यार कर
मेरा