
क्या करूँ
इस कोलाहल में साझीदार बनूँ
जहाँ सभी चिल्ला रहे हैं
वहां मैं भी आवाज़ करूँ ?
जिस ओर सब भाग रहे
उसी ओर मैं भी भाग चलूँ
सुवर्ण-धन की चाह पालूँ
कमनीय काया की कामना करूँ ?
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क्या करूँ
इस कोलाहल में साझीदार बनूँ
जहाँ सभी चिल्ला रहे हैं
वहां मैं भी आवाज़ करूँ ?
जिस ओर सब भाग रहे
उसी ओर मैं भी भाग चलूँ
सुवर्ण-धन की चाह पालूँ
कमनीय काया की कामना करूँ ?