
आज भी मैं उन गलियों में तुमको ढूंढ़ा करता हूँ,
आज भी मैं उन गलियों में कंचे खेला करता हूँ,
आज भी लगता है कि तुम मुझे पुकारोगे,
किसी न किसी ओट से छुपकर मुझे निहारोगे,
आज भी लगता है कि तुम सामने आओगे,
आज भी लगता है कि मुझको अपनाओगे,
आज भी तुम्हारी
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