
ढल चुकी है शाम , अब रात ढलती जा रही,
क्या करूँ घनश्याम तुमसे मुहब्बत होती जा रही,
हो चुके हैं जन्म कितने, अब नहीं सह पा रही,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे, यह घड़ी भी जारही,
प्रेम की यह ज्वाला देखो, जलती ही है जा रही,
आंसुओं की वेग - वर्षा, होती ही है जा रही,
विरह की यह वेदना, अब हूँ नहीं सह पा रही,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे, उम्र बीती जा रही ,
क्या कहूं घनश्याम तुमसे, तेरी होती जा रही,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे, देर है किस बात की,
कहूं कैसे श्याम तुमसे, राह देखी रात सारी ,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे यह घड़ी भी जा रही ,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे देह क्षीण होती जा रही ,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे सांस थमती जा रही,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे वाणी मौन होती जा रही ,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे वृत्ति शून्य होती जा रही ,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे उम्र जाती जा रही ,
प्रेम की यहअग्नि देखो अब नहीं बुझ पा रही,
आंसुओं की प्रबल धारा बहती ही है जा रही,
क्या करूँ , कैसे छुपाऊं , बात बढ़ती जा रही,
इत्र अपने इश्क़ की फैलती ही जा रही ,
दूर होतेजा रहे सब, पास आती जा रही,
क्या कहूं घनश्याम तुमसे तेरी होती जा रही,
नाम था मेरा बहुत बदनाम होती जा रही,
प्रीत की इक भारी कीमत मैं चुकाती जा रही,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे, मैं बिखरती जा रही ,
आ भी जाओ कृष्ण मेरे, मैं बिलखती जा रही,
मैं बिखरती, मैं बिलखती, ख़त्म होती जा रही,
मैं तो मरती, मैं तो मिटती, नष्ट होती जा रही ,
कभी हंसती, कभी रोती,