
पतझड़ के पत्तो से अपने हालात हैं,
कुचले जाने में ही फिल्हाल निजात हैं
ता उम्र जो बनाते रहे आशियां ए हैसियत,
कुछ लम्हों में बिखर गई उनकी औकात हैं
गामज़न हो रहा हैं यह जिंदगी का शतरंज,
बदल रहे सब प्यादे अपनी बिसात हैं
गले भी
कुचले जाने में ही फिल्हाल निजात हैं
ता उम्र जो बनाते रहे आशियां ए हैसियत,
कुछ लम्हों में बिखर गई उनकी औकात हैं
गामज़न हो रहा हैं यह जिंदगी का शतरंज,
बदल रहे सब प्यादे अपनी बिसात हैं
गले भी
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