
मेरी कविता
वो शब्द हैं या केवल
काग़ज़ पे खिंची लकीरें
कुछ कही , कुछ अनकही
हाँ, कुछ कही कुछ अनकही
कहाँ से शुरू
किस ने चलाई रीत
किसे है पता?
वैसे जैसे ,
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मेरी कविता
वो शब्द हैं या केवल
काग़ज़ पे खिंची लकीरें
कुछ कही , कुछ अनकही
हाँ, कुछ कही कुछ अनकही
कहाँ से शुरू
किस ने चलाई रीत
किसे है पता?
वैसे जैसे ,