
माटी करे पुकार
देश पुकारे
धर्म पुकारे
वक़्त नहीं अब केवल
शास्त्रों की चर्चा करने का,
वक्त नहीं हाथों मे
हाथ यूँ धरने का ॥
एक बार फिर कायरों ने
मासूमों पे वार किया
हंसते खिलते पहलगाम को
लाल खून स रंग दिया ॥
माँ भारती के गौरव को
फिर से अपमानित किया
सौ करोड़ हिंदुओं के
आस्था को तार तार किया॥
निहत्थो पे वार करके
खुद को बहादुर बतलाते हो
भारत के शेरों के आगे तुम
भीगी बिल्ली बन जाते हो ॥
साँसों में नफ़रत, जेबों में खंजर
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