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कैसे कहूँ

कैसे कहूँ

मस्त पवन जब बहती है

कानों में ये कहती है

जीवन , तो बस चलना है

बस चलते ही रहना है ।


राह देख रही तुम्हारा

हरे हरे पत्तों मे

इक बूँद ओस की

भीतर इन्द्र धनुष छिपाये

तेरे जीवन में रंग भरने को ।


इंतज़ार में है तुम्हारी

वो नन्ही कली

अपनी पंखुड़िय

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