
जीवन नैया
बहते पानी की लहरों में,
ढूँढतीं हूँ क़िस्मत की लकीरें,
जितना पास जाती हूँ
कही छिप जाती हैं ।
फिर इक बार नये छोर से
खोजने लगती हूँ
यही खोने- खोजने का सिलसिला
चल रहा है अब तक
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जीवन नैया
बहते पानी की लहरों में,
ढूँढतीं हूँ क़िस्मत की लकीरें,
जितना पास जाती हूँ
कही छिप जाती हैं ।
फिर इक बार नये छोर से
खोजने लगती हूँ
यही खोने- खोजने का सिलसिला
चल रहा है अब तक