
अब भी बाक़ी है
मीलों तक है बर्फ की चादर
पर कुछ चिंगार है बाक़ी
तेज़ आँधियों से हुई छिन्न भिन्न
छिपी कोंपल में फुहार है बाक़ी
पग भटकी
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अब भी बाक़ी है
मीलों तक है बर्फ की चादर
पर कुछ चिंगार है बाक़ी
तेज़ आँधियों से हुई छिन्न भिन्न
छिपी कोंपल में फुहार है बाक़ी
पग भटकी