
प्यार की महफिल में आए, नजर बचाकर चले गए
हमने पूछा प्यार तुम्हें है, नजर झुकाकर चले गए ।।
उनका यूँ खामोश गुजरना, दिल को बहुत सताता है
बिना बात के रह न सके, बिन बोले सताकर चले गए।।
मुझे नहीं मालूम शिकायत, किन बातों की उनको है
फिर भी बिना सबूत दिखाए, मुजरिम बनाकर चले गए।।
उनको शायद लगता होगा, मैं उनका हकदार नहीं
फिर क्यों हमको उल्फत में, बे-दाग दिखाकर चले गए।।
चाहत, इश्क, मोहब्बत सारी, सब के सब उनसे सीखा
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