
चाँद सा सुन्दर रूप देखकर हमको उनसे प्यार हुआ
झील सी गहरी आँखों से फिर आँखों ने इजहार किया।।
फूलों सी कोमल काया की दिल में अब तस्वीर बनी
जिसका वफा के अहसासों से मैंने है श्रंगार किया।।
कजरारी जुल्फें बादल सी नागिन सी मन को डसती
नीरज-दल से कोमल अधर ने दिल पर खूब प्रहार किया।।
अरुणोदय के लाल रवि से सुर्ख, मुलायम गाल हैं
पायल की मोहक छम-छम ने मुझ पर है उपकार किया।।
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