
कि दर्द आंसूओं में कब तक बहते रहेंगे
ये ठोकरें हमें ही कब तक मिलते रहेंगे
ज़रा चैन से जीने तो दो पल भर हमें भी
ये सारे सितम हम ही कब तक सहते रहेंगे
माना कि सांसे आपकी गुलाम है त्रिपुरारी
मगर यूं मर-मर कर हम कब तक जीते रहेंगे
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