ख़ता
फ़कत इतनी सी खता आज मुझसे हो गई
सियासत के नुमाया को ही अदाया बोल गई
मेरी आँखों के सामने जो हुआ था उन दिनों
उसकी हकीकत आज मुझसे बयाँ हो गई ||
मेरे हर अल्फाज में सिसकियाँ थी बरहम,
हर पल था बीता नस्तर सा चुभोता
किसी अनजान सूरत की जुल्म की इन्तहा,
Read More! Earn More! Learn More!