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जिन्दा ख्वाब

पथरा गई है आँखे मेरी आँसू भी अब सुख गए है,

तेरी यादों के कुछ अफ़साने वो भी अब पीछे छुट गए है |

भीड़ का शोर है चारो ओर फिर भी तन्हाई का आलम है,

दिन के उजालों में भी क्यों रात सी उदासी छाई है|

खो गए है सब सपने मेरे,अरमान बने अब बासिन्

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