क़िस्मत से मेरे इश्क़ की सौग़ात भी गई
वो क्या गया कि रंगत-ए-बाग़ात भी गई
मैंने अब अपने अश्कों को पत्थर बना लिया
अब तो मिरे नसीब की बरसात भी गई
अब दिल नहीं धड़कता उसे देखने के बाद
सीने से मेरे &n
वो क्या गया कि रंगत-ए-बाग़ात भी गई
मैंने अब अपने अश्कों को पत्थर बना लिया
अब तो मिरे नसीब की बरसात भी गई
अब दिल नहीं धड़कता उसे देखने के बाद
सीने से मेरे &n
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