
कहीं पर ग़म का सहरा बोलता है
कहीं अश्कों का दरिया बोलता है
वफ़ा के रास्ते सुनसान क्यों हैं
जिधर देखो अँधेरा बोलता है
मजाज़ी उन्स में फँस कर परिन्दा
क़फ़स को आशियाना बोलता है
है कैसा शोर सन्नाटों का त
कहीं अश्कों का दरिया बोलता है
वफ़ा के रास्ते सुनसान क्यों हैं
जिधर देखो अँधेरा बोलता है
मजाज़ी उन्स में फँस कर परिन्दा
क़फ़स को आशियाना बोलता है
है कैसा शोर सन्नाटों का त
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