
वक्त बढता रहा ,उम्र घटती रही
रिस्ते सिमटते रहे,बदगुमानी पनपती रही
सफर चलता रहा, ख्वाहिशे बढती रही
दोस्त छूटते रहे, भीड जुटती रही...
स्वार्थ पनपत
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रिस्ते सिमटते रहे,बदगुमानी पनपती रही
सफर चलता रहा, ख्वाहिशे बढती रही
दोस्त छूटते रहे, भीड जुटती रही...
स्वार्थ पनपत