
फड फडाये थे पंख
की थी उडने की चाह
ना था कोई दरवाजा बंद
ना थी कोई बेडीयां..
दिखता था एक रास्त नया
ओर खुला था आसमा
उठाए थे कुछ कदम भी
पर ना पार हो सका..
उसे रोक थी
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फड फडाये थे पंख
की थी उडने की चाह
ना था कोई दरवाजा बंद
ना थी कोई बेडीयां..
दिखता था एक रास्त नया
ओर खुला था आसमा
उठाए थे कुछ कदम भी
पर ना पार हो सका..
उसे रोक थी