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युद्ध और एक मां की चिंता

युद्ध पर जाते हुए बेटे को
एक मां ने टोका
एक पल के लिए रोका।
बोली ..
कैसे कह दूं मैं तू जल्दी आना
देश के प्रति है तुम्हें अपना फर्ज़
निभाना।
पर कैसे मैं अपने मन को  समझाऊं
शायद मैं फिर न कभी तुम्हें देख पाऊं।
सोच कर मेरा मन घबरा जाता है
लेती हूं चेन की सांस जब युद्ध से 
तू लौट कर तू वापसआता है।
हर पल बस एक ही डर सत
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