
सच कहने कीअब इजाज़त कहाँ,
हर लफ्ज़ में सियासत यहाँ।
मुस्कान ओढकर दर्द छुपाया,
ज़िंदगी जीना जिंदगी ने कब सिखाया।
दिल रोया पर लब मुस्काए,
हर सवाल पर बस सवाल आए।
झूठ अब फ़न नहीं मजबूरी लगता है,
चेहरे पर हर चेहरा जरूरी लगता है
खुशियों का चेहरा कहीं ख
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