पिता's image

मेरे ख्वाबों को मेरी आंखों में सजा रहा था
वो एक शख्स मेरी गलतियों पर भी मुस्कुरा रहा था।
मेरा हर सपना उसकी आँखों में पल रहा था,
मुझे खरोंच ना आए वो अंगारों पर चल रहा था।
वो शख्स मुझे ज़िंदगी जीना सीखा रहा था,
मैं गिरूं तो खुद उठूं, उठकर चलूं—
वो मुझे हर हाल में मुस्कुराना सीखा रहा था।
वो सिखाता है मुझे कि आईने में
मुझे खुद को सबसे खूबसूरत कहना है।
"पापा की परी हूँ मैं,"
और ये बात मुझे हमेशा याद रखना है।
वो सिखाता है मुझे के
मुझे न थकना है, न रुकना है,
सफ़र पूरा करना है।
वह पिता है मेरा—
सुख-दुख में जीने और सहने की हिम्मत देता है,
वह लड़ता है मेरे लिए
और लड़ने की ताक़त भी देता है।
वह सिखाता है मुझे कि
रिश्तों को सहेजने के लिए
कभी-कभी झुक जाना,

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