
आसमान में उड़ती,
नीली, लाल ,गुलाबी पतंग
अटक जाती है बिजली के तारों पर, पेड़ों पर, या कट जाती है
किसी और पतंग से मिलकर और
समेट ली जाती है बची हुई डोर
और करती है शुरुआत एक नई डोर के साथ एक नई यात्रा पर,
कभी ना हारने वाली आशाएं की डोर,आंखो मे चमकते सपनों सी एक गुलाबी पतंग
वो निकल आती है सूरज के सामने बेखौफ़
छू लेती है डोर के सहारे अपना आसमान
और अपनी कागज की काया से हवाओ का मुकाबला करती हैं
शायद पतंग सी
Read More! Earn More! Learn More!