फूल और कलियों में शायद आज कोई द्वंद था
पत्ते भी गुमसुम खड़े थे, कलियों का दिल भी तंग था
फिर अचानक हवा ने पत्तों का आलिंगन किया,
कापती शाखाओं ने धरती में कंपन भर दिया
देखकर सूरज की किरणें,
गुमसुम यूं ही बैठी रही
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