#प्रीत के रंग
रम जाना चाहूं मैं,
थम जा ना चाहूं मैं,
रंगों की महफिल को,
रंग बन महकाऊ मैं
बंधन बांध के प्यार का,
रंगों की माला पहना हूं मैं,
उज्जवल से इस धारा को,
आज पिचकारी से नहलाऊं मैं,
मौन शब्दों की भाषा को,
रंगों का चोला पहनाऊं मैं,
कहने व
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