![सिर्फ़ तुम's image](/images/post_og.png)
मेरे सपनों में जो आता है
वो हो सिर्फ़ तुम
मेरे एहसासों के तारों को
रोज़ छेड़ जाता है
वो हो सिर्फ तुम
मेरी हर ग़ज़ल ,
हर कविता का
जो प्राण है
वो हो सिर्फ तुम
मेरें हृदय में जो होता
मंद मंद स्पंदन है
वो
वो हो सिर्फ़ तुम
मेरे एहसासों के तारों को
रोज़ छेड़ जाता है
वो हो सिर्फ तुम
मेरी हर ग़ज़ल ,
हर कविता का
जो प्राण है
वो हो सिर्फ तुम
मेरें हृदय में जो होता
मंद मंद स्पंदन है
वो
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