कभी कभी वक्त बेईमान बन जाता है:
खुद आगे बढ़ता है,
लेकिन मुझे आगे बढ़ने नहीं देता।
वक्त के साथ आगे बढ़ना ही
जिंदगी होती है।
कभी कभी वक्त मेरी जिंदगी के साथ
बेईमानी करता है।
मैंने वक्त को पूछा, ‘ऐसा क्यों’?
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खुद आगे बढ़ता है,
लेकिन मुझे आगे बढ़ने नहीं देता।
वक्त के साथ आगे बढ़ना ही
जिंदगी होती है।
कभी कभी वक्त मेरी जिंदगी के साथ
बेईमानी करता है।
मैंने वक्त को पूछा, ‘ऐसा क्यों’?