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नया वर्ष

स..र.. र.. आज मौसम कुछ ठीक नहीं है , शायद आज आँधी आएगी । यूँ तो ये मौसम मुझे बड़ा भाता है पर पता नहीं आज कुछ .. .. 

दरवाजा खुलने की आवाज़ आई , अभिनव है। वो आते साथ ही चिपट गया और बच्चों के जैसे फफकने लगा । ये पहली दफ़ा नहीं है जब ऐसा हुआ है , अक्सर जब अभि परेशान होता है तो आँचल में आश्रय ढूँढता है ( मानसिक तनाव तो अपेक्षा भी यही करता है पर हर कोई .. .. खैर)

तक़रीबन बारह वर्ष पहले , उस शाम भी अभिनव यूँ ही आश्रय ढूँढता आया था । तब मैं ना तो उसके इन भावनात्मक झंझावातों से इतनी परिचित थी और ना ही इतनी परिपक्व कि उसे सहारा दे पाती, मैं खुद भी उसी झंझावात में बिखर गयी थी।

(अभिनव ने 'ना' की मुद्रा में सिर हिलाया)

और फिर उस रात बारिश नहीं रुकी .. 
तूफान आया और वो सारी बेल, बूटे,शाखाएं तोड़ ले गया जिन्हें इतने प्यार से वर्षों से सींचा था और वो शायद आकाश की और देख हमेशा आशान्वित थी पर उस रात .. ..

हुआ ये था कि अभि आज हमारे बारे में घरवालों से बात करने वाला था , हम तक़रीबन 5 साल से साथ थे और हमारा प्रेम बारिश में मचलते बच्चों के स्तर से सागर सी स्थिरता प्राप्त कर चुका था । इसी स्थिरता ने हमे आश्वस्त भी किया था कि हम अपनी जिंदगी साथ में शुरू कर सकें और अपने घर पर इस विषय में चर्चा करें ।

कुछ ही रोज पहले की तो बात है , क्षेत्रीय अखबार के मुख्य पृष्ठ पर था "अन्तर्जातीय विवाह से नाखुश पंचायत ने लड़के को किया जलील"। बाद में लड़की .. .
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