तुमसे मिले एक ज़माना हुआ है
ज़माना ही क्यों
यूँ कहूँ कि एक उम्र गुज़र गई
उम्र ही क्यों
कहूँ कि सदियाँ बीत गईं
या
यूँ कहूँ इस कायनात का
आरंभ और अंत द
ज़माना ही क्यों
यूँ कहूँ कि एक उम्र गुज़र गई
उम्र ही क्यों
कहूँ कि सदियाँ बीत गईं
या
यूँ कहूँ इस कायनात का
आरंभ और अंत द
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