ये दुनियाँ तो एक मेला है,
हर्ष और विषाद का खेला है,
प्रिय मेरी मत होना उदास,
निराशा परे है इसमें आस।
सोचूँ तो बात यह भाती है,
सुख-दुःख तो जीवनसाथी है,
उजाला से पहले अँधेरा है,
हर साँझ के बाद सवेरा है।
विरह बेला पर ना रोना तुम,
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