ऐ दूर देश की स्वप्नपरी,
जब सपनों में तुम आती हो,
चुपकेसे कुछ कान में कहकर,
मंद-मंद मुस्काती हो।
पास बुलाऊं जो तुमको,
तुम पीछे हट जाती हो,
हाथ हिलती इतराती
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ऐ दूर देश की स्वप्नपरी,
जब सपनों में तुम आती हो,
चुपकेसे कुछ कान में कहकर,
मंद-मंद मुस्काती हो।
पास बुलाऊं जो तुमको,
तुम पीछे हट जाती हो,
हाथ हिलती इतराती